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महाभारत : जानिये कौरवों को।

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हमारा दूसरा बड़ा महाकव्य ग्रंथ वेद व्यास जी द्वारा रचित विश्व का सबसे बड़ा काव्य महाभारत की कथा है।शायद विश्व के इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध और सबसे ज्यादा जानमाल के नुकसान वाला युद्ध येही है।इसकी विभीषिका का अनुमान इसमे हुई हैं जानमाल की हानि से लगया जा सकता है।इसमे 18 अक्षौहिणी सेना का समूल विनाश हुआ था।अक्षौहिणी प्राचीन भारत में सेना का माप हुआ करता था। ये संस्कृत का शब्द है। विभिन्न स्रोतों से इसकी संख्या में कुछ कुछ अंतर मिलते हैं। महाभारत के अनुसार एक अक्षौहिणी सेना में 21870 रथ, 21870 हाथी, 65 610 घुड़सवार एवं 109350 पैदल सैनिक होते थे।इसके अनुसार इनका अनुपात 1 रथ:1 गज:3 घुड़सवार:5 पैदल सैनिक होता था। इसके प्रत्येक भाग की संख्या के अंकों का कुल जमा 18 आता है। एक घोडे पर एक सवार बैठा होगा, हाथी पर कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है, एक फीलवान और दूसरा लडने वाला योद्धा, इसी प्रकार एक रथ में दो मनुष्य और चार घोडे रहे होंगें, इस प्रकार महाभारत की सेना के मनुष्यों की संख्या कम से कम 4681920 और घोडों की संख्या, रथ में जुते हुओं को लगा कर 2715620 हुई इस संख्या में दोनों ओर के मुख्य योद्धा कुरूक्षेत्र के मैदान में एकत्र ही नहीं हुई बल्कि वहीं मारी भी गई।
(अक्षौहिणी हि सेना सा तदा यौधिष्ठिरं बलम्।प्रविश्यान्तर्दधे राजन्सागरं कुनदी यथा ॥) महाभारत के युद्घ में अठारह अक्षौहिणी सेना नष्ट हो गई थी।
हम पांडवो के बारे में तो जानते है।महाभारत में पाँच पाण्डव तथा सौ कौरव थे। पांडवो के नाम सभी जानते है।मगर कौरव कुछ गिने चुने ही जानते है।चलो थोड़ा जाने।
पाँच पाण्डव तथा सौ कौरवों के नाम ये थे :–पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -
 1. युधिष्ठिर 2. भीम 3. अर्जुन 4. नकुल 5. सहदेव
 ( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण  भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त  पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन की माता कुन्ती थीं 
 तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी ।
कुन्ती के पुत्र युधिष्ठिर के जन्म होने पर धृतराष्ट्र की पत्नी गान्धारी के हृदय में भी पुत्रवती होने की लालसा जागी। गान्धारी ने वेद व्यास जी से पुत्रवती होने का वरदान प्राप्त कर लिया। गर्भ धारण के पश्चात् दो वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी जब पुत्र का जन्म नहीं हुआ तो क्षोभवश गान्धारी ने अपने पेट में मुक्का मार कर अपना गर्भ गिरा दिया। योगबल से वेद व्यास को इस घटना को तत्काल जान लिया। वे गान्धारी के पास आकर बोले, "गान्धारी तूने बहुत गलत किया। मेरा दिया हुआ वर कभी मिथ्या नहीं जाता। अब तुम शीघ्र सौ कुण्ड तैयार कर के उनमें घृत भरवा दो।" गान्धारी ने उनकी आज्ञानुसार सौ कुण्ड बनवा दिये। वेदव्यास ने गान्धारी के गर्भ से निकले मांसपिण्ड पर अभिमन्त्रित जल छिड़का जिसे उस पिण्ड के अँगूठे के पोरुये के बराबर सौ टुकड़े हो गये। वेदव्यास ने उन टुकड़ों को गान्धारी के बनवाये सौ कुण्डों में रखवा दिया और उन कुण्डों को दो वर्ष पश्चात् खोलने का आदेश दे अपने आश्रम चले गये। दो वर्ष बाद सबसे पहले कुण्ड से दुर्योधन की उत्पत्ति हुई। दुर्योधन के जन्म के दिन ही कुन्ती का पुत्र भीम का भी जन्म हुआ। दुर्योधन जन्म लेते ही गधे की तरह रेंकने लगा। ज्योतिषियों से इसका लक्षण पूछे जाने पर उन लोगों ने धृतराष्ट्र को बताया, "राजन्! आपका यह पुत्र कुल का नाश करने वाला होगा। इसे त्याग देना ही उचित है। किन्तु पुत्रमोह के कारण धृतराष्ट्र उसका त्याग नहीं कर सके। फिर उन कुण्डों से धृतराष्ट्र के शेष 99 पुत्र एवं दुशाला नामक एक कन्या का जन्म हुआ। गान्धारी गर्भ के समय धृतराष्ट्र की सेवा में असमर्थ हो गयी थी अतएव उनकी सेवा के लिये एक दासी रखी गई। धृतराष्ट्र के सहवास से उस दासी का भी युयुत्सु नामक एक पुत्र हुआ। युवा होने पर सभी राजकुमारों का विवाह यथायोग्य कन्याओं से कर दिया गया। दुशाला का विवाह जयद्रथ के साथ हुआ।
वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के 99 पुत्र और युयुत्सु मिलाकर सौ कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -
1. दुर्योधन 2. दुःशासन 3. दुःसह
 4. दुःशल 5. जलसंघ 6. सम
 7. सह 8. विंद 9. अनुविंद 10. दुर्धर्ष
 11. सुबाहु 12. दुषप्रधर्षण 
13. दुर्मर्षण 14. दुर्मुख 15. दुष्कर्ण
 16. विकर्ण 17. शल 18. सत्वान
 19. सुलोचन 20. चित्र 21. उपचित्र
 22. चित्राक्ष 23. चारुचित्र 
24. शरासन 25. दुर्मद 26. दुर्विगाह
 27. विवित्सु 28. विकटानन्द
 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ 31. नन्द
 32. उपनन्द 33. चित्रबाण
 34. चित्रवर्मा 35. सुवर्मा
36. दुर्विमोचन 37. अयोबाहु
 38. महाबाहु 39. चित्रांग
 40. चित्रकुण्डल 41. भीमवेग
 42. भीमबल 43. बालाकि
 44. बलवर्धन 45. उग्रायुध
 46. सुषेण 47. कुण्डधर 48. महोदर
 49. चित्रायुध 50. निषंगी 51. पाशी
 52. वृन्दारक 53. दृढ़वर्मा
54. दृढ़क्षत्र 55. सोमकीर्ति
 56. अनूदर 57. दढ़संघ 
58. जरासंघ 59. सत्यसंघ
 60. सद्सुवाक 61. उग्रश्रवा
 62. उग्रसेन 63. सेनानी
 64. दुष्पराजय 65. अपराजित
 66. कुण्डशायी 67. विशालाक्ष
 68. दुराधर 69. दृढ़हस्त
 70. सुहस्त 71. वातवेग
 72. सुवर्च 73. आदित्यकेतु
74. बह्वाशी 75. नागदत्त
 76. उग्रशायी 77. कवचि 78. क्रथन
 79. कुण्डी 80. भीमविक्र 
81. धनुर्धर 82. वीरबाहु 
83. अलोलुप 84. अभय 
85. दृढ़कर्मा 86. दृढ़रथाश्रय
 87. अनाधृष्य88. कुण्डभेदी
 89. विरवि 90. चित्रकुण्डल
 91. प्रधम 92. अमाप्रमाथि
 93. दीर्घरोमा 94. सुवीर्यवान
 95. दीर्घबाहु 96. सुजात
 97. कनकध्वज98. कुण्डाशी
 99. विरज
 100. युयुत्सु (ये सुखदा दासी से हुआ पुत्र था।)
 ( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहन  भी थी… जिसका नाम""दुशाला""था, जिसका विवाह"जयद्रथ"सेहुआ था )
इस युद्ध मे केवल ये लोग बचे थे--पांडवों के सभी योद्धाओ में से केवल 8 ज्ञात वीर ही बचे-पाँचों पाण्डव, कृष्ण, सात्यकि, युयुत्सु
कौरवों के सभी योद्धाओ में से
केवल ३ ज्ञात वीर ही शेष
-अश्वत्थामा, कृपाचार्य, कृतवर्मा
7  अक्षौहिणी पांडवो की सेना और 11 अक्षौहिणी कौरवों की सेना का मर्दन हुआ।युयुस्तु ने कौरव होकर पांडवों का साथ दिया। ये भी विडम्बना रही विभीषण की तरह। मेरे खाली समय का ये ही आनंद है जो मैं आप सब मित्रों तक बिखेरने की कोशिश करता हूँ। आशा करता हूं आप आनंदित होंगे।
सुप्रभात
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जय हिंद।
"निर्गुणी"
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