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सर्दियो का एक और बहुउपयोगी शाक है बथुआ। इसका इस्तेमाल सरसों जे साग बनाने में भी किया जाता है। मक्की की रोटी तो इसके साथ बनाई ही जाती है। ये गेहूं चने के खेतों में खरपतवार के रूप में उग आता है।मगर अब इसकी खेती ही होती है एक एकड़ के खेत मे तीस से चालीस हजार कमाये जा सकते है । आज की आनंद चर्चा इसी शाक पे है।
बथुआ एक महत्त्वपूर्ण तथा स्वास्थ्यवर्धक शाक है। इस पौधे के पत्ते शीतादरोधी (Antiscorbutic) तथा पूयरोधी (Antidiuretic) होते हैं। बथुए में अनेक प्रकार के लवण एवं क्षार पाए जाते हैं, जिससे यह पेट रोग के लिए फायदेमंद होता ही है साथ ही अनेक बीमारियों में भी काम में लाया जा सकता है।यह अन्य भाषाओं में इस तरह जाना जाता है
बथुआ का वानस्पतिक नाम -कीनोपोडियम् एल्बम् है और यह केनोपीडिसियासी कुल से है। देश भर में बथुआ को बथुआ या वास्तूक के नाम से जानते हैं लेकिन अलग अलग जगहों पर इसे और भी दूसरे नामों से बुलाया जाता है, जो ये हैंः-
हिंदी– बथुआ, बथुया, चिल्लीशाक, बथुआ साग
अंग्रेज़ी– आलगुड (Allgood), बेकॉन वीड (Bacon weed), फ्रोंस्ट-बाइट (Frost-bite), वाइल्ड स्पिनिच (Wild spinach), वाइल्ड गूज फुट (Wild goose foot), लैम्ब्स क्वार्टर (Lamb’s Quarters)
संस्कृत – वास्तूक , क्षारपत्र, चक्रवर्ति, चिल्लिका, क्षारदला, शाकराट्, यवशाक
उड़िया– बथुआ
कोंकणी – चकविट
कन्नड़ – विलिय चिल्लीके, चक्रवत्ति गुजराती– टांको , बथर्वो
तमिल– परुपकिराई
तेलगु – पप्पुकुरा
बंगाली – बेतुया , चंदन बेथू
नेपाली – बथु
पंजाबी– बाथु , लुनाक
मराठी – चाकवत , चकवत
मलयाली – वस्तुक्कीरा
अरबी – रोक् बतुल बजामेल
पर्शियन – कताफ , कुलफ , खुरफा , खुरुअलसाफिर
बथुआ की पत्तियों में विटामिन ए की सर्वाधिक मात्रा 11300 आई यू पाई जाती है।बथुआ एक वनस्पति है जो भारत में रवि के फसलों के साथ उगता है।
बथुआ में पाए जाने वाले पोषक तत्व उनके मात्रा के अनुसार इस प्रकार हैं।
तत्व मात्रा
प्रोटीन 3 ग्राम
कैल्शियम 280 मिलीग्राम
फाइबर 1 ग्राम
लौह 4 ग्राम
वसा 8 ग्राम
फास्फोरस 81 मिलीग्राम
विटामिन सी 90 मिलीग्राम
थायमीन 15 मिलीग्राम
नियासिन 3 मिलीग्राम
विटामिन ए 11 मिलीग्राम
राइबोफ्लेबिन 4 मिलीग्राम
पानी 84 ग्राम
ऊर्जा 44 किलो कैलोरी
बथुआ के सेवन से होने वाले फायदे कुछ इस प्रकार हैं –
1. बथुए से दूर होगा कब्ज – कब्ज की समस्या से जूझ रहें लोगों को बथुए की सब्जी का समय-समय पर सेवन करते रहना चाहिए। क्योंकि बथुआ अमाशय को ताकत प्रदान करता है कब्ज दूर करने का कार्य करता है। साथ ही यह अपच, भूख की कमी, पेट फूलना, गैस व खट्टी डकारें आना जैसी समस्याओं में भी राहत पहुंचाने का कार्य करता है।
2. अनियमित मासिक धर्म में बथुआ – बहुत सी स्त्रीयों में अनियमित मासिक धर्म की समस्या पायी जाती है। अगर मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज को एक गिलास पानी में उबाल लें और उसके आधा रह जाने पर छानकर पी जाएं। ऐसा करने से आपको बहुत जल्द अनियमित पीरियड्स से आराम मिल जायगा। इसी के साथ अगर आंखों में सूजन व लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी अवश्य खाएं।
3. खून की कमी में बथुआ – बथुआ आयरन का स्त्रोत होता है और इसका समय-समय पर सेवन करते रहने से रक्त की कमी नही होती साथ ही नीम की 5-6 पत्तियों के साथ बथुआ का सेवन करने से रक्त शुद्ध होता है।
4. चर्म रोग के लिए बथुआ – दाद, खुजली, फोड़े व सफ़ेद दाग आदि में बथुए को उबालकर इसका रस निचोड़कर पीने की सलाह दी जाती है। बथुए के उबले हुए पानी को चर्म रोगों पर नित्य लगाने से भी लाभ प्राप्त होता है।
5. गंठिया के उपचार में बथुआ – एंटी-इन्फ्लामेट्री गुणों के कारण बथुआ का उपयोग गठिया के उपचार में किया जाता रहा है। बथुआ गठिया की सूजन को दूर करने में बहुत कारगर होता है। जोड़ों के दर्द और गठिया से निजात पाने के लिए सुबह नाश्ते से पहले बथुआ के पत्तों के 2 से 3 चम्मच रस का सेवन करना चाहिए।
6. आँखों की सेहत के लिए बथुआ – आजकल कम उम्र में ही बहुत से लोगों की आँखे कमजोर हो जाती हैं और उन्हें चश्मा लग जाता है। बथुआ मे जस्ता और लौह सामग्री उचित मात्रा में पायी जाती है, जो हमारी दृष्टि को बेहतर बनाए रखने में सहायक होती है। इसलिए यदि आप अपनी आंखों को स्वस्थ्य बनाए रखना चाहते हैं तो बथुआ को भोजन के साथ-साथ दवा के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं।
7. बथुआ के फायदे बालों के लिए – बथुआ में पाए जाने वाले गुणकारी तत्व जैसे – आयरन, फास्फोरस, विटामिन ए व डी बालों के प्राकृतिक रंग को बनाएं रखने में सहायक होते हैं।
8. बथुआ के फायदे बवासीर की समस्या में – पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के साथ-साथ मल त्याग को आसान बनाने में भी बथुए का बहुत योगदान है। इस कारण बवासीर के मरीजों को इसका सेवन अवश्य करना चाहिए जिससे उनकी पाईल्स की समस्या दूर हो सके।
बथुआ से होने वाले नुक्सान
बथुए की सीमित मात्रा का सेवन, किसी भी तरह से हानिकारक नहीं होता परन्तु अन्य खाद्य पदार्थों की भाँती बथुए का अधिक सेवन नुक्सानदायक हो सकता है। बथुए से होने वाले नुक्सान कुछ इस प्रकार हैं।
1. बथुआ में ऑक्सिजेलिक एसिड का उच्च स्रोत निहित होता है जिसके कारण इसके अत्यधिक सेवन से आपको डायरिया जैसी समस्या हो सकती है।
2. आयुर्वेद के अनुसार गर्भवती महिलाओं बथुए का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे गर्भपात होने का ख़तरा रहता है।
3. बथुए के पौधे में प्रजनन विरोधी गुण भी पाए जाते हैं, जो अधिक मात्रा में सेवन किये जाने पर आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने का कार्य करते हैं।
4. बथुआ का अधिक सेवन त्वचा की संवेदनशीलता को भी बढ़ाता है। साथ ही पेट के रोगों में फायदेमंद बथुआ, अधिक सेवन करने पर पेट की समस्या भी पैदा कार सकता है।
तो इस प्रकार अब आप बथुए के इन सभी फायदों और इससे होने वाले नुक्सानों को भली भाँती समझ गये होंगे।उम्मीद करता हूँ यह लेख आपके लिए फायदेमंद सिद्ध होगा ।आज ही इसका उपयोग साग और मक्की की रोटी संग घर मे होगा।
जय हिंद।
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आप सब का दिन शुभ हो।
"निर्गुणी"
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