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कद्दू सुनते ही हंसी से आ जाती है। अकसर मोटे लोगों का मज़ाक उड़ाने के लिए और छोटे बच्चों को प्यार से हम कद्दू कह देते हैं। इसे काशीफल भी कहा जाता है, ज़्यादातर लोग इसे पसंद नहीं करते, ना ही ये कोई बहुत मेहेँगी सब्ज़ी है पर ये होता बहुत ही लाभकारी है। प्रकृति ने अपनी इस 'गोल-मटोल' देन में कई तरह के औषधीय गुण समेटे हैं। इसका सेवन स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। इस में 'पेट' से लेकर 'दिल' तक की कई बीमारियों के इलाज की क्षमता है।
हमारे यहां विवाह जैसे मांगलिक अवसरों पर कद्दू की सब्जी और हलवा आदि बनाना-खाना शुभ माना जाता है। उपवास के दिनों में फलाहार के रूप में भी इससे बने विशेष पकवानों का सेवन किया जाता है।
हमारे पूर्वजों ने भी कद्दू के इन औषधीय गुणों को बहुत पहले ही पहचान लिया था और यही कारण है कि हमारे देश में, खासतौर पर उत्तर भारत के खान-पान में, इसे विशेष महत्व दिया जाता है। भारत में कद्दू की कई प्रजातियां पाई जाती हैं जिन्हें उनके आकार-प्रकार और गूदे के आधार पर मुख्य रूप से सीताफल, चपन कद्दू और विलायती कद्दू के वर्गों में बांटा जाता है।
आज घर में कद्दू पूरी बनेगी।मुह में पानी आ रहा है।खैर पहले और जाने कद्दू कुम्हड़ कुष्माण्ड के बारे में।
कुम्हड़ा या कद्दू एक स्थलीय, द्विबीजपत्री पौधा है जिसका तना लम्बा, कमजोर व हरे रंग का होता है। तने पर छोटे-छोटे रोयें होते हैं। यह अपने आकर्षों की सहायता से बढ़ता या चढ़ता है। इसकी पत्तियां हरी, चौड़ी और वृत्ताकार होती हैं। इसका फूल पीले रंग का सवृंत, नियमित तथा अपूर्ण घंटाकार होता। नर एवं मादा पुष्प अलग-अलग होते हैं। नर एवं मादा दोनों पुष्पों में पाँच जोड़े बाह्यदल एवं पाँच जोड़े पीले रंग के दलपत्र होते हैं। नर पुष्प में तीन पुंकेसर होते हैं जिनमें दो एक जोड़ा बनाकार एवं तीसरा स्वतंत्र रहता है। मादा पुष्प में तीन संयुक्त अंडप होते हैं जिसे युक्तांडप कहते हैं। इसका फल लंबा या गोलाकार होता है। फल के अन्दर काफी बीज पाये जाते हैं। फल का वजन 4 से 8 किलोग्राम तक हो सकता है। सबसे बड़ी प्रजाति मैक्सिमा का वजन 34 किलोग्राम से भी अधिक होता है।यह लगभग संपूर्ण विश्व में उगाया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, मेक्सिको, भारत एंव चीन इसके सबसे बड़े उत्पादक देश हैं। इस पौधे की आयु एक वर्ष होती है।
एक कप पके हुए पंपकिन (245 ग्रा) में निम्न पोषक तत्व होते हैं-
कैलोरी: 49
फैट: 0.2 ग्राम
प्रोटीन: 2 ग्राम
कार्ब्स: 12 ग्राम
फाइबर: 3 ग्राम
विटामिन A: दैनिक जरूरत का 245%
विटामिन C: दैनिक जरूरत का 19%
पोटेशियम: दैनिक जरूरत का 16%
कॉपर: दैनिक जरूरत का 11%
मैंगनीज: दैनिक जरूरत का 11%
विटामिन B2: दैनिक जरूरत का 11%
विटामिन E: दैनिक जरूरत का 10%
आयरन: दैनिक जरूरत का 8%
कद्दू खाने के फायदे--
फाइबर से समृद्ध-कद्दू में फाइबर काफी अधिक होता है। एक कप पके कद्दू में 3 ग्राम फाइबर होता है जो आपकी दैनिक जरूरत का लगभग 11 प्रतिशत होता है। कद्दू के बीज में भी फाइबर अच्छी मात्रा में होता हैं। लगभग 28 ग्राम बीज में 1.1 ग्राम फाइबर होता है। आप उबले हुए, भुने हुए या बेक्ड कद्दू का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, आप सूप, ब्रेड और पाई बनाने में भी कद्दू का उपयोग कर सकते हैं।
2. शरीर से टॉक्सिन्स को साफ करे-
कद्दू का सेवन प्रभावी रूप से शरीर से टॉक्सिन्स को निकालने में मदद करता है और शरीर को डिटॉक्स करता है। यह किडनी और यूरिन सिस्ट्म के माध्यम से शरीर के कचरे को बाहर निकालने में मदद करता है। यह डिटॉक्सिफिकेशन शरीर के कई हेल्थ प्रॉब्लम्स को दूर करता है।
3. रिंकल्स को कम करें-
त्वचा की समस्याएं जैसे एजिंग साइन का इलाज के लिए कद्दू का उपयोग किया जाता है क्योंकि इसमें विटामिन सी और विचामिन ए जैसे पोषक तत्व होते हैं। यह बेहद हाइड्रेटिंग है जो त्वचा को नमीयुक्त और ग्लोइंग बनाए रखता है। कद्दू का रस पीना त्वचा की झुर्रियों को कम करने के लिए एक प्रभावी उपचार है।
4. इम्यूनिटी को बूस्ट करे-
विटामिन सी से भरपूर होने के कारण कद्दू का रस शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद करता है। इसमें ओमेगा-3 और बीटा कैरोटीन जैसे एंटी-इंफ्लेमेट्री पोषक तत्व होते हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद करता है।
5. बालों की ग्रोथ बढ़ाएं-
कद्दू में पोटेशियम अच्छी मात्रा में होते है जो कि बालों के विकास में मदद करता है। साथ ही, इसमें मौजूद विटामिन ए स्कैल्प की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। इस प्रकार, कद्दू का रस पीने से बालों के विकास और रिग्रोथ में मदद मिल सकती है।
6. ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करे-
केवल आपके टेस्ट बड्स के लिए ही नहीं, बल्कि आपके दिल के लिए भी कद्दू एक बेस्ट फ्रेंड है। कद्दू में मौजूद पोटेशियम और एंटीऑक्सीडेंट हृदय के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं और हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या को कम करते हैं।
7. कैंसर के रिस्क को कम करे-
विटामिन ए और सी, आयरन जैसे पोषक तत्वों का मैजिकल कॉम्बो होने से कद्दू को कैंसर सेल्स के खिलाफ एक प्राकृतिक कवच के रूप में माना जाता हैं। विशेष रूप से, कद्दू प्रोस्टेट, ब्रेस्ट और पेट के कैंसर के रिक्स को कम करने के लिए फायदेमंद हैं। कद्दू, मकई और बीन्स जैसे खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट का सेवन ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है, जो कैंसर के रिस्क का एक प्रमुख कारण है।
विभिन्न भाषाओं में
संस्कृत-पीतकूष्माण्ड , काशीफल, ग्राम्या;
हिंदी - सीताफल लालकुमढ़ा, मीठाकूष्माण्ड , कोहड़ा, कुम्हड़
असमी-रंगा
उड़िया-कुम्डा , माई
कन्नड-कुम्बलाकाई
कोंकणी-दूद्दे
कश्मीरी-अल , तुम्बी
गुजराती-कोरोन
तमिल-परांगीकाजी , पुषिनी
तेलगु-गुम्मदी
बंगाली-सफूरीकोमरा
नेपाली-फर्सी
पंजाबी-कद्दू
मराठी-लालधूधिया
मलयालम-मथान, मट्टांगा
मणिपुरी-मैरेन
इंग्लिश-पम्पकिन ,ऍाटम स्क्वॉश , विन्टर स्क्वॉश , रेड गऍर्ड , पम्पकिन , मेलन पम्पकिन।
मित्रों कद्दू कद्दू ही है।10 मिनट में सब्ज़ी में पक के तैयार हो जाता है।
खट्टा मीठा नमकीन बनाया जा सकता है।जूस भी बनाया जा सकता है।
कद्दू का उपयोग करें स्वास्थ्य लाभ पायें।
जय हिंद।
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सुप्रभात।
"निर्गुणी"
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