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मैरी क्रिसमस।

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क्रिसमस का त्यौहार बचपन से मनता देखता आ रहा हूँ। जब हम दयानंद कॉलोनी दिल्ली में रहते थे सन 1983 तब ईसाई धर्म का प्रचार जोरों पर था। कुछ जापानी इसका प्रचार करते सामग्री बांटते थे। और फिर 25 दिसंबर को खूब रौनक करते थे। थोड़ा और मैंने जाना जब ऐनी हमारे साथ वाले कमरे में रहने आयी सन 1988। मगर बेहतर मजा लिया फरीदाबाद में। मैं त्यौहारों को आनंद का पर्व मानता मनाता हूँ। हमारे पड़ोसी थे अंकल जॉर्ज। लम्बा साथ रहा उनका पारिवारिक रिश्ता आज यथावत कायम है। वे अब केरला अपने घर चले गए है। बच्चे यहीं रहते है।प्यारे से नाम है जोसी एंव जोमी। हर साल 25 दिसंबर की शाम संगीत वाद्यों के संग घर आ के कैरोल गाते  मेरी क्रिसमस कहते थे। उनका एक ग्रुप था। घर ने बना केक खाने को मिलता था। एक बार उनके साथ चर्च का प्रोग्राम भी देखा था। बहुत ही आनंद के क्षण थे। आज भी आनंद के क्षण है।आज की आनंद चर्चा भी इसी पे है।
क्रिसमस शब्‍द का जन्‍म क्राईस्‍टेस माइसे अथवा ‘क्राइस्‍टस् मास’ शब्‍द से हुआ है। ऐसा अनुमान है कि पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था। यह प्रभु के पुत्र जीसस क्राइस्‍ट के जन्‍म दिन को याद करने के लिए पूरे विश्‍व में 25 दिसम्‍बर को मनाया जाता है यह ईसाइयों के सबसे महत्‍वपूर्ण त्‍यौहारों में से एक है। इस दिन भारत व अधिकांश अन्‍य देशों में सार्वजनिक अवकाश रहता है। ये तिथि कोई पुख्ता नही है मगर सर्व मान्य समय के साथ बन गयी है।
क्राइस्‍ट के जन्‍म के संबंध में नए टेस्‍टामेंट के अनुसार व्‍यापक रूप से स्‍वीकार्य ईसाई पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार प्रभु ने मैरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत भेजा। गैब्रियल ने मैरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्‍म देगी तथा बच्‍चे का नाम जीसस रखा जाएगा। व‍ह बड़ा होकर राजा बनेगा, तथा उसके राज्‍य की कोई सीमाएं नहीं होंगी।देवदूत गैब्रियल, जोसफ के पास भी गया और उसे बताया कि मैरी एक बच्‍चे को जन्‍म देगी, और उसे सलाह दी कि वह मैरी की देखभाल करे व उसका परित्‍याग न करे। जिस रात को जीसस का जन्‍म हुआ, उस समय लागू नियमों के अनुसार अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए मैरी और जोसफ बेथलेहेम जाने के लिए रास्‍ते में थे। उन्‍होंने एक अस्‍तबल में शरण ली, जहां मैरी ने आधी रात को जीसस को जन्‍म दिया तथा उसे एक नांद में लिटा दिया। इस प्रकार प्रभु के पुत्र जीसस का जन्‍म हुआ।
क्रिसमस समारोह अर्धरात्रि के समय के बाद, जिसे समारोह का एक अनिवार्य भाग माना जाता है, शुरू होते हैं। इसके बाद मनोरंजन किया जाता है। सुंदर रंगीन वस्‍त्र पहने बच्‍चे ड्रम्‍स, झांझ-मंजीरों के आर्केस्‍ट्रा के साथ चमकीली छडियां लिए हुए सामूहिक नृत्‍य करते हैं।
सेंट बेनेडिक्‍ट उर्फ सान्‍ता क्‍लाज़, लाल व सफेद ड्रेस पहने हुए, एक वृद्ध मोटा पौराणिक चरित्र है, जो रेन्डियर पर सवार होता है, तथा समारोहों में, विशेष कर बच्‍चों के लिए एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। वह बच्‍चों को प्‍यार करता है तथा उनके लिए चाकलेट, उपहार व अन्‍य वांछित वस्‍तुएं लाता है, जिन्‍हें वह संभवत: रात के समय उनके जुराबों में रख देता है।कल रात से बुबु की फरमाइश आ चुकी है।और आज पूरी भी कर दी जायेगी।
क्रिसमस के दौरान प्रभु की प्रशंसा में लोग कैरोल गाते हैं। वे प्‍यार व भाई चारे का संदेश देते हुए घर-घर जाते हैं।
क्रिसमस ट्री अपने वैभव के लिए पूरे विश्‍व में लोकप्रिय है। लोग अपने घरों को पेड़ों से सजाते हैं तथा हर कोने में मिसलटों को टांगते हैं। चर्च मास के बाद, लोग मित्रवत् रूप से एक दूसरे के घर जाते हैं तथा दावत करते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं व उपहार देते हैं। वे शांति व भाईचारे का संदेश फैलाते हैं। अमेरिका में 30 मिलियन क्रिसमस ट्री हर साल बिक जाते है। इसकी भी लम्बी कहानी है।
भारत में विशेषकर गोवा में कुछ लोकप्रिय चर्च हैं, जहां क्रिसमस बहुत जोश व उत्‍साह के साथ मनाया जाता है। इनमें से अधिकांश चर्च भारत में ब्रि‍टिश व पुर्तगाली शासन के दौरान स्‍‍थापित किए गए थे।
भारत के कुछ बड़े चर्चों मे सेंट जोसफ कैथेड्रिल, और आंध्र प्रदेश का मेढक चर्च, सेंट कै‍थेड्रल, चर्च आफ सेंट फ्रांसिस आफ आसीसि और गोवा का बैसिलिका व बोर्न जीसस, सेंट जांस चर्च इन विल्‍डरनेस और हिमाचल में क्राइस्‍ट चर्च, सांता क्‍लाज बैसिलिका चर्च, और केरल का सेंट फ्रासिस चर्च, होली क्राइस्‍ट चर्च तथा माउन्‍ट मेरी चर्च महाराष्‍ट्र में, तमिलनाडु में क्राइस्‍ट द किंग चर्च व वेलान्‍कन्‍नी चर्च, और आल सेंट्स चर्च व कानपुर मेमोरियल चर्च उत्‍तर प्रदेश में शामिल हैं।
विश्व के सभी धर्म शिक्षा के रूप में प्रेम भाई चारे के संदेश देते है। आप भी आज क्रिसमस का आनंद लीजिये।
जय हिंद।
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आप का दिन शुभ हो।
"निर्गुणी"
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