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सैंटा क्लॉज़।

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कल क्रिसमस पर लिखा था। अब एक अहम किरदार जो इस त्यौहार से जुड़ा है उसके बारे में जाने। हमारी शिक्षा सरकारी स्कूल में हुई तो वहां इसपे कोई ज्यादा ज्ञान उपलब्ध नही कराया गया। मगर जब हम दिल्ली आकर रहने लगे आस पास के माहौल में थोड़ा परिचय हुआ।परसों छोटे बेटे ने एक फरमाइश कर जुराब रख दी। औऱ कहा जो मांगी गई चीज़ है चुपके से इसमें रख देना। सुबह जब उठ कर लूंगा तो मेरी विश पूरी हो जायेगी। हम सब जोर से हंसे और वादा भी कर दिया। अब लगता है सैंटा आ ही गये।आज की आनंद चर्चा इसी पे है।
सैंटा क्लॉज़ एक ऐसा नाम जो हम मानते थे कि सैंटा क्लॉज़ आएंगे और हमारे लिए ढेरों गिफ्ट लेकर आएंगे। कुछ बच्चों को तो गिफ्ट मिला भी करते थे क्योंकि उनके माता-पिता सैंटा क्लॉज़ बनकर उन्हें गिफ्ट दे दिया करते थे और उन्हें लगता था कि गिफ्ट सेंटा क्लॉज़ लेकर आया है। हर साल गिफ्ट की उम्मीद में हम क्रिसमस बच्चे शौक से मनाते है। तो हमे भी जानना चाहिए आखिर सैंटा क्लॉज़ है कौन?
क्रिसमस को लेकर एक लंबा इतिहास रहा है वैसे तो यदि कैलेंडर में देखा जाए तो हर दिन के  बीच एक नया इतिहास है लेकिन आज हम बात कर रहे हैं क्रिसमस में आने वाले सैंटा क्लॉज़ की। जिसे हम सेंटा क्लॉज़ के नाम से जानते हैं उसका असली नाम सेंट निकोल्स या क्रिस क्रृंगल है। यदि आज की बात की जाए तो सेंटा क्लॉज़ की एक ऐसी छवि है जो लाल सफेद कपड़ो में आता है और उसकी दाढ़ी और बाल लंबे लंबे सफेद रंग के होते हैं। और प्यारे प्यारे बच्चों के लिए वह एक बहुत बड़ा बैग लाता है जिसमें ढेरों गिफ्ट होते हैं। लेकिन इसके पीछे एक इतिहास छिपा हुआ है । सैंटा क्लोज नॉर्थ अमेरिका में रहते थे, ऐसा कहा जाता था।अब कोई इसकी पुष्टि तो नहीं कर सकता क्योंकि कुछ लोग ऐसा कहते थे कि वह उत्तरी ध्रुव की ओर रहते हैं। एक साधु तो थे लेकिन उन्होंने शादी भी की थी और जिस से शादी की थी उस महिला का नाम जेसिका था जिन्हें बाद में मिसेज कलॉस के नाम से जाना जाता था। सैंटा क्लॉस को क्रिसमस फादर के नाम से भी जाना जाता था उनके माता पिता के नाम की कोई भी जानकारी कहीं पर भी उपलब्ध नहीं है।
वैसे तो सैंटा क्लॉज़ का नाम जीसस क्राइस्ट जिनका जन्मदिन 25 दिसंबर को मनाते हैं उनके साथ जोड़ कर लिया जाता है। लेकिन यदि बाइबल में देखा जाए तो जीसस क्राइस्ट और सैंटा क्लॉज़ के बीच कोई संबंध था ही नहीं।इतिहास के पन्नों में ऐसा बताया गया है कि संत निकोलस का जन्म तीसरी शताब्दी में हुआ था और जीसस का निधन संत निकोलस के जन्म से 280 साल पहले ही हो चुका था। उत्तरी ध्रुव में स्थित मायरा में एक रईस परिवार में तीसरी शताब्दी में संत निकोलस ने धरती पर जन्म लिया था। परिवार तो रईस था लेकिन उसके बावजूद भी वे अनाथ हो गए थे। उसके बाद उन्होंने बचपन से ही भगवान यीशु में अपने माता पिता को देखते हुए उनकी भक्ति करनी शुरू कर दी।वे बड़े हुए और ईसाई धर्म के पादरी बन गए और बाद में वे बिशप बन गए। उन्हीं आरंभ से ही शौक था कि कुछ ऐसे लोगों की मदद की जाए जो अपनी इच्छाएं स्वयं पूरा नहीं कर सकते जो गरीब है और अपनी इच्छाएं पूरी करने में असमर्थ हैं। वे सदैव जरूरतमंद और बच्चों को गिफ्ट देना पसंद करते थे लेकिन अपनी पहचान बताएं बिना वे बाहर निकलते थे और आधी रात के समय बच्चों और जरूरतमंदों को उपहार दिया करते थे।
वे नहीं चाहते थे कि उनकी पहचान कोई भी देखें या जाने इसलिए वे बच्चों के सोने के बाद ही घर से बाहर निकलते थे और उन्हें उपहार दिया करते थे। यही कारण था कि बच्चों को वे लोग जल्दी सुला दिया करते थे ताकि उनके पास भी आकर कोई ऐसा व्यक्ति अर्थात सांता अंकल उन्हें उपहार दिया करें।
संत निकोलस के जीवन की कई सारी कहानियां ऐसी हैं जो बेहद चर्चित हैं जिनमें उन्होंने जरूरतमंद लोगों की मदद करके उन्हें रातों रात मालामाल कर दिया।
एक ऐसी ही मशहूर कहानी एक गरीब व्यक्ति की है जिसकी तीन बेटियां थी। वह व्यक्ति इतना ज्यादा गरीब था कि अपनी बेटियों को दो वक्त का भोजन भी देने में समर्थ नहीं हो पा रहा था। ऐसे में वे उनकी शादियों के लिए चिंतित था वह उनकी शादी कैसे कर पाता है उसके पास खाने के लिए पैसे नहीं थे मजबूरन वह अपनी बेटियों को नौकरी कराने पर मजबूर था परंतु बहुत मशक्कत के बाद भी उन्हें कोई नौकरी नहीं मिल रही तब उसने अपनी बेटियों को व्यापार की ओर जाने का रास्ता दिखाया।जैसे ही यह बात संत निकोलस को पता चली तो उन्होंने आधी रात में जाकर उन लड़कियों के घर में जाकर उन की जुराब के अंदर चुपचाप सोने के सिक्कों से भरी थैलियां रख दी। उसके बाद उनकी दरिद्रता खत्म हो गई और उन्होंने खुशी खुशी अपनी बेटियों की शादी भी की और उन्हें सुखी जीवन प्रदान किया।कहते हैं उस दिन की घटना के बाद से ही क्रिसमस की रात बच्चे इस उम्मीद से मोजे बाहर लटका आते हैं कि सुबह उनमें उन्हें उनके मनपसंद गिफ्ट मिलेंगे। फ्रांस में तो चिमनी पर लाल रंग के जूते लटकाए जाते हैं जिसमें सांता आकर गिफ्ट डालते हैं। ऐसी प्रथा वर्षों से ही चली आई है। सेंटा रेडीयर्स पर चलते हैं इसलिए फ्रांस के बच्चे तो रेडियंरस के लिए जूतों में गाजर भर कर रखते हैं। यहीं से बुबु ने जानकर जुराब रख दी विश मांगकर। सो संता के प्रति विश्वास बच्चों के दिलों में आज भी कम नहीं हुआ है ऐसा बताया जाता है निकोलस का व्यक्ति जो सैंटा क्लॉस बनकर सब बच्चों के सामने आया है उसका नाम जीसस और मदर मैरी के बाद सबसे ज्यादा अधिक सम्मान से लिया जाता है। निकोलस की दरियादिली देखने के बाद सन 1200 से ही फ्रांस में 6 दिसंबर को निकोलस दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है क्योंकि यही एक दिन था जिस दिन निकोलस की मृत्यु हो गई थी।
1773 में पहली बार अमेरिका शहर में सैंटा क्लॉस के रूप में एक व्यक्ति मीडिया से रूबरू हुआ था और उसने खुद को सैंटा क्लॉज बताया था। उसके बाद सन 1930 में सैंटा का अस्तित्व सब लोगों के सामने आया और सन्ड़बलोम नामक एक कलाकार ने सैंटा के रूप में कोका कोला की ऐड 35 वर्षों तक की। उसने लाल सफेद कपड़ो में आकर कोका कोला की ऐड की थी और  सैंटा का यह नया अवतार लोगों को बहुत ज्यादा पसंद आया जिसे आज तक स्वीकार किया जाता है और उसी रूप में सैंटा को याद किया जाता है।  लेकिन असली सैंटा मतलब निकोलस को आज तक किसी ने नहीं देखा था और ना ही उसकी किसी ने पहचान की थी इसलिए सैंटा के इस नए रूप को ही देख कर सब सैंटा के होने का अनुमान लगा लेते हैं और खुश होकर नाच कूद लेते हैं ।सैंटा का क्रिसमस से कोई सीधा संबंध तो कभी सामने नही आया।मगर धीरे-धीरे क्रिसमस और सैंटा का आपस में गहरा रिश्ता बनता चला गया और वे बच्चों के बीच मशहूर होते चले गए।आज सैंटा सबके लिए गिफ्ट लेकर आएंगे इसी सोच के साथ क्रिसमस की रात बच्चे जल्दी सो जाते हैं। आज भी कुछ किस्से कहानियों में ऐसा कहा जाता है कि सैंटा अपनी वाइफ और बहुत सारे दोनों के साथ उत्तरी ध्रुव में रहते हैं जहां पर एक बहुत बड़ी खिलौनों की फैक्ट्री लगाई हुई है हर साल वहां पर बहुत सारे खिलौने बनाए जाते हैं जो क्रिसमस के दिन बच्चों में बांट दिए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि सैंटा की इस फैक्ट्री में हजारों बोने काम करते हैं।सैंटा क्लॉज के बच्चे इतने ज्यादा दीवाने हैं की उन्हें क्रिसमस के दिन खत लिख कर भेजते हैं और बहुत सारे पते ऐसे हैं जहां पर सैंटा के नाम से खत्म भेजें भी जाते हैं जिनमें से सबसे मुख्य पता फिनलैंड का कहा जाता है। दुनिया भर से फिनलैंड के पते पर बहुत सारे खत पहुंचते हैं जो सैंटा के नाम पर ही होते हैं और कहा जाता है कि उनमें से बहुत सारे लोगों की विश पूरी भी होती है या फिर क्षमता द्वारा पूरी की जाती है। सैंटा क्लाज के नाम पर तो कई सारी मेल आईडी भी बनी हुई है जिस पर लाखों करोड़ों मेल हर साल पहुंचते हैं।
इनका पता है
 सैंटा क्लॉज,
सैंटा क्लॉज़ विलेज,
एफआईएन 96930 आर्कटिक सर्कल, फिनलैंड
आप भी खत लिख सकते है।
जय हिंद।
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आप का दिन शुभ व मंगलमय हो।
"निर्गुणी"
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