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लोबान।

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लोबान या लोहबान की बेहतर जानकारी मुझे अपने भोपाल प्रवास के दौरान दुर्गा पूजा के समय हुई। इसकी सुगंध ने मुझे बहुत आकर्षित किया। ये एक ज्वलनशील सुगंधित औषधीय गुणों से भरपूर गोंद है । यहां इसका उपयोग शव दहन के समय भी किया जाता है।
आज की आनंद चर्चा इसी पे है।
लोहबान को आमतौर पर लोबान भी कहा जाता है और अंग्रेजी में इसे सुमात्रा स्नोबैल  और गम बेंजॉइन के नाम से भी जाना जाता है। आप ने अक्सर धूप जलाने या धूप-अगरबत्ती में मौजूद तत्व के रूप में इसका नाम जरूर सुना होगा। लोहबान का उपयोग सिर्फ सुगंध और महक के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि इसमें कई चिकित्सीय गुण भी होते हैं।
लोहबान का वैज्ञानिक नाम स्टाइरेक्स बेंजॉइन है, जो कि स्टाइरेकेसी कुल से संबंध रखता है। आयुर्वेद के मुताबिक, इसका इस्तेमाल सिर दर्द, सूजन, स्किन समस्याएं, हिचकी और उल्टी की समस्या में राहत प्राप्त करने के लिए किया जाता है। लोहबान/लोबान में एंटीसेप्टिक, एंटी-इंफ्लमेटरी, एंटी-डिप्रेसेंट, एनलजेसिक, एस्ट्रिंजेंट, एक्सपेक्टोरेंट, स्टीम्युलेंट गुण होते हैं। आपको बता दें कि, इसके एसेंशियल ऑयल में भी यह तमाम गुण पाए जाते हैं। जिस वजह से औषधि निर्माण में उसको शामिल किया जाता है। लोबान एक वृक्ष का सुगंधित गोंद है। यह वृक्ष अफ्रिका के पूर्वी किनारे पर, सुमालीलैंड में अरब के दक्षिणी समुद्रतट जैसे यमन और ओमान में होता है और वही से लोबान अनेक रुपों में भारतवर्ष में आता है । कुहुर जकरं, कुहगुर उनस, कुहुर शफ, कुहुकशफा आदि इसी के भेद हैं । इनमें से कई दबा के काम में आते हैं । इनमें लोबानकशफा, जिसे धुप भी कहते हैं, भारतवर्ष में लोबान के नाम से बिकता है । यह गोंद वृक्ष की छाल के साथ लगा रहता है । अरब से लोबान मुम्बई आता है । वहाँ छाँट छाँटकर उसके भेद किए जाते हैं । जो पीले रंग की बुँदा के रुप के साफ दाने होते हैं, वे कौड़िया कहलाते हैं । उनको छआँटकर युरोप भेज देते हैं तथा मिला जुला औऱ चुरा भारतवर्ष और चीन के लिये रख लेते हैं ।एक और प्रकार का लोबान जावा, सुमात्रा आदि स्थानों से आता है, जिसे जाबी लोबान कहते हैं । युरोप में इससे एक प्रकार का क्षार बनाया जाताहै जिसे वैजोइक एसिड कहते हैं । लोबान प्रायः जलाने के काम में लाया जाता है, जिससे सुंगंधित धुआँ निकलता है । वैद्यक में कुहुरपलोबान का प्रयोग सुजाक में और जावी लोबान का प्रयोग खाँसी में होता है । यह अधिकतर मरहम के काम में लाया जाता है ।
हिन्दू धर्म में लोबान को जलाने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है। यह ना सिर्फ एक परंपरा है बल्कि स्वास्थ्य पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव ही पड़ता है। दरससल लोहबान से निकलने वाले धुएं से मस्तिष्क शांत होता है और शारीरिक थकान भी कम होती है। यह आपकी त्वचा की झनझनाहट को भी कम करता है।
जब कोई व्यक्ति इसके संपर्क में आता है तो उसे मानसिक शांति मिलती है और वह अवसाद मुक्त होने लगता है।
तो अगर आप चाहते हैं कि आपका मस्तिष्क तनावमुक्त रहे, शांत रहे और आप अवसाद से दूर रहें तो आपको अपने घर में लोबान अवश्य जलाना चाहिए। विभिन्न भाषाओं में इसे कुछ इस तरह बोला जाता है।
हिंदी – लोहबान, लोबान
अंग्रेज़ी – सुमात्रा स्नोबैल , गम बेन्जोइन 
संस्कृत– लोहवाण, श्यामधूप
कन्नड़– साम्बीरानी 
गुजराती – लोबान 
तमिल – शाम्बिरानी 
तेलगु– साम्बीरानी 
बंगला – लुबान , लोबान ,धूप
मराठी – ऊध, लोबान , लुबान 
मलयाली – कामीनीयान ,साम्बीरानी 
अरबी – लोबान , जावी 
पर्शियन– हस्न लब
चलिए जाने  लोहबान के औषधीय प्रयोग 
त्वचा रोग में लोहबान का इस्तेमाल फायदेमंद -
कई लोग त्वचा संबंधी रोग से ग्रस्त रहते हैं और बीमारी को ठीक करने के लिए बहुत सारी कोशिशें करते हैं लेकिन सफलता नहीं मिलती। ऐसे में लोहबान का उपयोग लाभ पहुंचाता है। त्वचा रोग होने पर लोहबान को पीस लें। इसे बीमार त्वचा पर लगाएं। इससे लाभ होता है।
लोहबान का प्रयोग कर खांसी का इलाज -
पुरानी खांसी, दमा, टीबी की बीमारी हो या फिर साधारण जुकाम। सभी में लोहबान का धूप  फायदेमंद होता है। रोगी को लोहबान का धुआं सूंघना चाहिए। इससे लाभ होता है।
लोहबान का उपयोग उल्टी रोकने में लाभदायक  -
उल्टी को रोकने के लिए भी आप लोहबान का प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए मिट्टी के बर्तन में पानी रखें। इसके बाद लोहबान को जलाकर इसके धूप  से पानी को गुनगुना कर लीजिए। इसे पीने से उल्टी रुक जाती है।
पेट दर्द में लोहबान का प्रयोग -
अगर आपका पेट दर्द कर रहा है तो लोहबान का प्रयोग करना चाहिए। यह पेट दर्द की चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है। पेट दर्द की समस्या में लोहबान का इस्तेमाल कैसे करना है यह रोग की स्थिति पर निर्भर करता है। इसके लिए किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
सिफलिस रोग में लोहबान का इस्तेमाल -
सिफलिस रोग को भी ठीक करने के लिए लोहबान का प्रयोग किया जाता है। यह बहुत ही उत्तम परिणाम देता है। जो रोगी सिफलिस रोग से पीड़ित हैं वे 12 ग्राम लोहबान में 4 ग्राम सर्जररस मिलाकर, चंदन तेल से पीस लें और इसकी 1-1 ग्राम की वटी बना लें। 1-1 वटी को अनार रस के साथ सेवन करने से फिरंग रोग में लाभ होता है। औषधि का सेवन करने के दौरान तेल, खट्टा, नकम, दूध, बैंगन, गुड़ आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
रक्तस्राव (प्रसव के बाद गर्भाश्य से रक्तस्राव) में लोहबान का प्रयोग लाभदायक -
कई महिलाओं को प्रसव के बाद रक्तस्राव की समस्या बहुत अधिक परेशानी करती है। ये महिलाएं लोहबान का उपयोग कर लाभ उठा सकती हैं। लोहबान से एक बत्ती  बना लें। इसे योनि में रखें। इससे प्रसव के बाद गर्भाशय से होने वाले रक्तस्राव की परेशानी ठीक होती है।
गठिया रोग में लोहबान का इस्तेमाल -
गठिया की बीमारी से परेशानी हैं तो लोहबान का प्रयोग करें। लोहबान को पीसकर गठिया वाले स्थान पर लेप करें। इससे गठिया में लाभ मिलता है।
वात विकार में फायदेमंद लोहबान का उपयोग -
वात दोष को ठीक करने में भी लोहबान का इस्तेमाल होता है। आप लोहबान को पीसकर तेल में पका लें। इसे ठंडा करके छानकर मालिश करने से वातविकार ठीक होता है।
सेक्सुअल स्टेमना बढ़ाने के लिए लोहबान का इस्तेमाल लाभदायक -
अनेक लोगों को यह शिकायत रहती हैं कि उनके सेक्स करने की क्षमता में कई आ गई है या शारीरिक कमजोरी के कारण उनकी सेक्सुअल स्टेमना में कमी आ गई है।  इसके साथ ही बहुत सारे लोग वीर्य की कमी या वीर्य संबंधी अन्य विकार से भी ग्रस्त होते हैं। ये सभी लोग लोहबान का इस्तेमाल कर बहुत लाभ ले सकते हैं।
इसके लिए आप 6-6 ग्राम शुण्ठी, सेमल निर्यास, 3-3 ग्राम अस्थि शृंखला तथा अकरकरा, 12 ग्राम लोहबान, 48 ग्राम तिल लें। इन सबके बराबर मिश्री मिलाकर, पीसकर चूर्ण बना लें। इसे रोग 2-3 ग्राम की मात्रा में मिश्री युक्त दूध के साथ सेवन करें। इससे शारीरिक कमजोरी दूर होती है और वीर्य की वृद्धि होती है।
बराबर मात्रा में शाल्मली निर्यास तथा लोहबान के चूर्ण को (750 मिग्रा) मिश्री युक्त दुग्ध के साथ पीने से शरीर की शक्ति बढ़ती है।
घर मे लोबान का उपयोग धूप के रूप में करने से वातावरण सुगंधित तो होता ही है और एक सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
जय हिंद।
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आप का दिन शुभ हो
"निर्गुणी"
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