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होली हम सनातनियों का प्रमुख त्यौहार है। पूरे भारत में ये पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन कान्हा की नगरी मथुरा में इसका अलग ही रंग और उत्साह देखने को मिलता है। भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में ये रंगोत्सव 40 दिनों तक मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत इस वर्ष माघ मास में वसंत ऋतु(26 जनवरी 2023) के प्रवेश करते ही हो गई। वसंत पंचमी पर मथुरा के मंदिरों में और होलिका दहन स्थलों पर होली का ढांडा गाड़े जाने के बाद से ही इस रंगोत्सव की शुरुआत हो जाती है। परंपरा के अनुसार वसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में सुबह की आरती के बाद सबसे पहले मंदिर के पुजारी भगवान बांके बिहारी को गुलाल का टीका लगाकर होली के इस पर्व का शुभारम्भ करते हैं। इस दिन मंदिर में श्रद्धालुओं पर भी जमकर गुलाल उड़ाया जाता है। इसके बाद रंग पंचमी वाले दिन इस रंगोत्सव का समापन होता है।
ब्रज में ही वर्ष होली का पंचांग या कैलेंडर हर वर्ष निकाला जाता है। इस वर्ष इस पंचांग अनुसार प्रमुख होली त्यौहार इस तरह है...
21 फरवरी 2023- फुलेरा दूज (फूलों की होली)
27 फरवरी 2023 - लड्डू मार होली, बरसाना
28 फरवरी 2023 - लट्ठमार होली, बरसाना
01 मार्च 2023 - लट्ठमार होली, नंदगांव
03 मार्च 2023 - रंगोत्सव, सांस्कृतिक कार्यक्रम, श्रीकृष्ण जन्मस्थान
04 मार्च 2023 - छड़ीमार होली, गोकुल
06 मार्च 2023 - होलिका दहन, फालेन गांव
07 मार्च 2023 - द्वारकाधीश का डोला, द्वारकाधीश मंदिर
08 मार्च 2023 - दाऊजी का हुरंगा, बलदेव
12 मार्च 2023 - रंग पंचमी पर रंगनाथ जी मंदिर में होली।
वसंत का आगमन होते ही ब्रज में पूरे मंदिर को पीले फूलों से सजाया जाता है। ब्रज में 40 दिन तक चलने वाली होली का आनंद लेने के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में कान्हा की नगरी पहुंचते हैं। फुलेरा दूज से मथुरा में होली की शुरुआत होती है और इस दिन ब्रज में श्रीकृष्ण के साथ फूलों के संग होली खेली जाती है। इसके अलावा यहां लड्डू मार और लट्ठमार होली का अलग ही उत्साह देखने को मिलता है।
*लड्डूमार होली 2023*
बरसाना में होली की शुरुआत लड्डूमार होली से होती है। यह होली श्री राधा रानी के जन्म स्थल बरसाना में राधा रानी के श्रीजी मंदिर में खेली जाती है। इस साल लड्डूमार होली 27 फरवरी 2023 को खेली गई।
श्रीजी राधारानी का एक भव्य मंदिर हैं। यहाँ पर भक्तों के ऊपर लड्डुओं की बरसात कर दी जाती हैं। एक-दूसरे के ऊपर लड्डू उछाले जाते हैं।
सभी भक्तों में उन लड्डुओं को पकड़ने की होड़ लगी रहती हैं। कोई इन्हें पकड़कर अपने झोली में डाल लेता हैं तो कोई इन्हें उसी समय भगवान का प्रसाद समझकर खा जाता हैं।
*लट्ठमार होली 2023 बरसाना*
बरसाना की प्रमुख और बहुप्रचलित होली लट्ठमार होली 28 फरवरी 2023 को खेली गई। इस दिन नंदगांव से आए ग्वालों पर बरसाना की ग्वालिनें लट्ठ बरसाकर होली खेली हैं।बरसाने की लट्ठमार होली विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। यह बरसाने की संकरी गलियों में खेली जाती हैं। दरअसल द्वापर युग में जब कान्हा नंदगांव में रहा करते थे तब वहां के कई पुरुष बरसाने की महिलाओं के साथ होली खेलने जाया करते थे। तब वहां की महिलाएं उन पर लट्ठ से वार करती थी और भगा देती थी। इन पुरुषों को हुरियारे कहा जाता था।तब से बरसाने की लट्ठमार होली प्रसिद्ध हो गयी। इसमें नंदगांव से हुरियारे भाग लेते हैं तो बरसाने की महिलाएं। महिलाओं के हाथों में बांस के बड़े-बड़े लट्ठ होते हैं जिन्हें वे पुरुषों पर बरसाती हैं तो वही पुरुषों के पास इन लट्ठों के वार से बचने के लिए ढाल होती हैं जिससे वे अपना बचाव करते हैं।
*लठ्ठमार होली 2023 नंदगांव*
बरसाना में ही नहीं नंदगांव में भी लट्ठमार होली खेली जाती है। इस दिन बरसाना के ग्वाले नंदगांव जाते हैं और नंदगांव की ग्वालिनें उन पर लट्ठ बरसाती हैं। इस बार नंदगांव की लट्ठमार होली 1 मार्च 2023 को खेली गई।
*कृष्ण जन्मभूमि होली 2023 (रंगोत्सव)*
श्री कृष्ण की जन्मभूमि यानी कि मथुरा में कृष्ण (श्री कृष्ण आकर्षण मंत्र) जन्मस्थान पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं जिनमें भरकर गुलाल उड़ता है। ऐसी कोई गली नहीं बचती जहां रंग की छाप न हो। इस बार यह क्रायक्रम 3 मार्च 2023 को मनाया गया।
*छड़ीमार होली 2023*
गोकुल में छड़ीमार होली खेली जाती है। इस साल यह होली 4 मार्च 2023 को खेली गई। वहीं, फालेन गांव में महा होलिका दहन होता है जिसमें से हुलियारे नंगेपांव गुजरते हैं। इस साल फालेन गांव में होलिका दहन 6 मार्च यानी आज 2023 को हुआ।
बरसाने और नंदगांव में तो लट्ठमार होली खेली जाती हैं क्योंकि तब तक कान्हा थोड़े बड़े हो चुके थे लेकिन जब वे छोटे थे तो गोकुल में होली खेलने जाया करते थे। तब लट्ठों की मार से कान्हा को चोट लग सकती थी। इसलिये वहां की महिलाएं छड़ी से कान्हा को पीटा करती थी और भगाती थी। बस तभी से गोकुल की छड़ीमार होली भी बहुत प्रसिद्ध हैं।
*मथुरा होली का डोला 2023*
मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर का डोला निकलता है। साथ ही, चौबों का डोला भी निकलता है जो बेहद आकर्षक होता है। इस बार रंगोत्सव का यह डोला 7 मार्च 2023 को मथुरा की गली-गली से निकलेगा।
*दाउजी का हुरंगा 2023*
इसके बाद मुख्य होली वाले दिन जहां पूरे ब्रज मंडल में होली खेली जाएगी तो वहीं, बलदेव मंदिर से होता हुआ दाऊजी का हुरंगा निकलेगा। यह हुरंगा 8 मार्च 2023 को निकलेगा।
*रंगनाथ जी की होली 2023*
इसके बाद होली का समापन 12 मार्च 2023 को रंग पंचमी के दिन रंगनाथ जी की होली के साथ होगा। तो ये थी ब्रज मंडल में खेली जाने वाली भिन्न-भिन्न होलियां और उनकी तिथियां।
अब हम तो खेलेंगे 8 तारीख को होली।
इसदिन लोग रंगों से होली खेलते हैं। सुबह होते ही सब अपने मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने निकल पड़ते हैं। गुलाल और रंगों से सबका स्वागत किया जाता है। लोग अपनी ईर्ष्या-द्वेष की भावना भुलाकर प्रेमपूर्वक गले मिलते हैं तथा एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। इस दिन जगह-जगह टोलियाँ रंग-बिरंगे कपड़े पहने नाचती-गाती दिखाई पड़ती हैं। बच्चे पिचकारियों से रंग छोड़कर अपना मनोरंजन करते हैं। सारा समाज होली के रंग में रंगकर एक-सा बन जाता है। रंग खेलने के बाद देर दोपहर तक लोग नहाते हैं और शाम को नए वस्त्र पहनकर सबसे मिलने जाते हैं। प्रीति भोज तथा गाने-बजाने के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।होली के दिन घरों में खीर, पूरी और पूड़े आदि विभिन्न व्यंजन (खाद्य पदार्थ) पकाए जाते हैं। इस अवसर पर अनेक मिठाइयाँ बनाई जाती हैं जिनमें गुजियों का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। दहीबड़े भी हर परिवार में बनाए व खिलाए जाते हैं।कांजी, भांग और ठंडाई इस पर्व के विशेष पेय होते हैं। पर ये कुछ ही लोगों को भाते हैं।
"रंग तो रंग है यारो बुरा न मानो यारो ।इस ठंडाई संग बहुत आनंद है यारो।।"
होली है।
धन्यवाद।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
"निर्गुणी"
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